रालोद को बनिये की तलाश !
उत्तर प्रदेश के 2022 के विधानसभा के चुनाव में मुजफ्फरनगर सीट आजकल राजनीतिक क्षेत्र में गंभीर चर्चा का विषय बनी हुई है। इसका एकमात्र कारण है कि यह सीट परंपरागत रूप से बनिया सीट कहलाई जाती है।
जहां तक सत्तारूढ़ भाजपा का सवाल है तो उसके पास तो वर्तमान विधायक व मंत्री कपिल देव के अलावा बनिया उम्मीदवारों की लाइन लगी हुई है। यह भी तय माना जा रहा है कि या तो कपिल देव अग्रवाल का टिकट पक्का होगा अथवा भाजपा राजीव गर्ग या श्री मोहन तायल जैसे किसी बनिया को ही मैदान में उतारेगी।
कांग्रेस अभी इस सीट को लेकर उहापोह की स्थिति मैं है कांग्रेस के पास चेयरमैन अंजू अग्रवाल के रूप में मजबूत उम्मीदवार थी परंतु उन्होंने किन्ही मजबूरियों अथवा किसी स्वार्थ के चलते भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। जिसके चलते कांग्रेस अब अपने जिला अध्यक्ष सुबोध शर्मा पर दाव खेलने का मन बना चुकी है।
एकमात्र अपवाद बसपा के बारे में राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि वह बनिया उम्मीदवार पर दाव न खेल कर किसी मुस्लिम उम्मीदवार को ही अपना मोहरा बना सकते हैं।
इस सीट पर उम्मीदवार को लेकर असल माथापच्ची सपा रालोद गठबंधन में चल रही है। अगर यह सीट रालोद के हिस्से में आती है तो रालोद को भी इस सीट पर किसी बनिया उम्मीदवार की ही तलाश करनी पड़ सकती है।
रालोद के सामने समस्या यह है कि अभी तक उसके पास कोई ऐसा ठोस बनिया उम्मीदवार नहीं है जिसकी स्वीकार्यता जाटों मुसलमानों मैं भी हो और बनियों में भी हो।
यही वजह है कि रालोद किसी ऐसे बनिया की तलाश में गंभीरता से जुटा हुआ है, जो जाट एवं बनिया समाज में स्वीकार्य हो। रालोद की निगाह कर्मठ कांग्रेसी कमल मित्तल पर टिकी हुई है। माना जाता है कि कमल मित्तल सिसौली के रहने वाले खाटी बनिए हैं तथा चौधरी नरेश टिकैत के बाएं हाथ माने जाते हैं। चर्चा है कि रालोद कमल मित्तल को लेकर अपना होमवर्क पूरा कर चुका है।
लेकिन अगर यह सीट सपा के हिस्से में आती है तो सपा को भी किसी बनिया उम्मीदवार को ही प्राथमिकता देनी पड़ सकती है। सपा के पास वर्तमान में जो बनिया उम्मीदवार हैं वह है गौरव स्वरूप और उनके भाई बंटी स्वरूप लेकिन माना जाता है कि इन दोनों में से किसी एक को टिकट देते हैं तो इस बार शायद बनिया उनके पीछे पूरी निष्ठा के साथ लामबंद ना हो पाए।
दूसरी वजह यह कि इन दोनों भाइयों के कारोबारी रिश्तेदारिया भाजपा नेताओं के साथ बड़ी गहराई के साथ चल रही हैं जिसके चलते अगर बसपा ने कोई मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतार दिया तो मुस्लिम वोट में बिखराव पैदा हो सकता है जिसके चलते उन्हें हार का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसे में सपा में चर्चा है कि राकेश शर्मा जोकि मजबूत ब्राह्मण नेता के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके हैं को अपना उम्मीदवार बना सकती है।
राजनीतिक क्षेत्रों में यह भी चर्चा है कि अगर कमल मित्तल रालोद में नहीं आते हैं तो सपा के राकेश शर्मा को रालोद के टिकट पर चुनाव लडाया जा सकता है। देखना यह है कि राजनीतिक समीकरण कमल मित्तल के पक्ष में जाते हैं या सपा के राकेश शर्मा के।